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सही शेयर, सही वक्त और संपूर्ण शेयर मार्केट का सही ज्ञान आपको बना सकता है एक सफल इनवेस्टर 1

अगर आप भी नए हैं,और आपको बिल्कुल जानकारी नहीं है शेयर मार्केट की, तो यह कंटेंटआपके लिए ही है।

आपको जरूर जानना चाहिए पूरी जानकारी, जो हम सरल भाषा में आप तक पहुंचाएंगे।

सबसे पहले हमें यह जानने की जरूरत है, कि इन्वेस्टमेंट कई प्रकार के होते हैं।

जैसे- आप एफडी में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको 7% रिटर्न मिल जाता है।

(Debt)डेब्थफंड में 6% का रिटर्न मिलता है।

रियलएस्टेट और गोल्ड भी पिछले 5 साल से आपको 5% से ज्यादा का रिटर्न नहीं दे रहे हैं।

सेविंग अकाउंट में 4% मिलता है।

करंट अकाउंट में तो कुछ मिलता ही नहीं।

लेकिन म्यूच्यूअलफंड और शेयर मार्केट से लोग 12 से 18 % का रिटर्न प्राप्त कर पा रहे हैं।

हम दो तरीके से इन्वेस्ट कर सकते है।

  • पहला कि म्युचुअलफंड ,जो इनडायरेक्ट होता है।
  • दूसरा किसी कंपनी का शेयर खरीदकर, जिसे डायरेक्टइन्वेस्ट कहते हैं।

हमें बहुत जरूरी बात,यह जानने की जरूरत है कि शेयर मार्केट में लोग फेल क्यों हो जाते हैं?

देखिये,हमें समझना चाहिए, कि शेयर मार्केट में भारत के लोग 4% इन्वेस्ट करते हैं,वहीँ अमेरिका के अंदर लगभग 50% इन्वेस्ट करते हैं।

इंडिया में क्यों लोग ज्यादा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं करते? इसके कई कारण हैं

  • एक तो लोग जोखिम उठाने से कतराते हैं।
  • दूसरी वजह कि उन्हें शेयर मार्केट की संपूर्ण जानकारी नहीं होती है।
  • उनका कोई डेडीकेटेड कोर्स नहीं होता।
  • और एक बड़ा कारण यह है, कि कई सारे फ्रॉडस्कैंडल्स की वजह से लोगों का भरोसा उठ जाता है। जिसकी वजह से वह इस इन्वेस्ट करने से कतराते हैं।

सबसे पहले हमें समझना होगा,कि शेयर मार्केट काम कैसे करता है।

इसे बिल्कुल ऐसा समझ सकते हैं,जैसे एक सब्जी मंडी में काम किया जाता है। मान लीजिये,किसी एक चीज को 20 रुपए में बेचा जा रहा है,लेकिन खरीदने वाला 15 रुपये में चाहता है। फिर बेचने वाला यह कह सकता है, कि बीच की डील कर लेते हैं, और 18 पर तय कर लेते हैं।

इसके अंदर डिमांड और सप्लाई चलती है। जहां पर किसी चीज की माँग ज्यादा होगी,तो उसका रेट बढ़ जाएगा और जहां डिमांड कम होती है, लेकिन सप्लाई बहुत ज्यादा है, तो उस चीज का रेट कम हो जाता है।

शेयर मार्केट में भी ऐसा ही होता है। शेयर मार्केट में (एन एस ई) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और (बी एस ई) बॉम्बे स्टॉकएक्सचेंज,मार्केट है। यहीं से आपको पता चलता है और यहीं से आप ट्रेडिंग करते हैं।

लेकिन गलती कहां पर होती हैआप न्यूज़ को ट्रैक मत करिए आप ट्रेड को ट्रैक कीजिए। बस थोड़ी समझदारी की जरूरत है। बस एक फंडामेंटल समझने की जरूरत है और शेयर मार्केट की बहुत बडी जानकारी आपको मिल सकती है।

पी ई (PE) क्या होता है। यह होता है- प्राइसअर्निंग रेशों।

और उससे पहले समझना होगा कि,निफ्टी50 क्या है? nifty50, हमारे देश की 50 बड़ी कंपनी को मिलाकर एक रिप्रेजेंटेटिव होता है। निफ्टी को देखकर पता चलता है,कि सारी कंपनी कैसा परफॉर्म कर रही है। निफ़्टी का प्राइसअर्निंग रेशों  होता है, जो बताता है, कि कितना पैसा लगाया जाएगा और कितना वापस मिलेगा।

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना है या नहीं करना है,हमें इसी से पता चलेगा और वह कैसे जानेंगे, इसके लिए आगे बढ़ते हैं।

पी ई, निफ़्टी का भी होता है और इंडिविजुअल कंपनी का भी होता है।

साधारण भाषा में समझें तो,आपको चाहिए, कि इंडिविजुअल कंपनी का शेयर मार्केट चेक करने से पहले, पूरी मार्केट का शेयर चेक करें, कि कितना लगाया जाएगा और कितना मिलेगा।

पी ई अमूमन पिछले 30, 40 से 50 साल का मार्केट बताता है,कि सबसे नीचे ये 10 पर रहता है,और सबसे ऊपर 30 पर रहता है।

अब यहां दो बात समझने की है,कि अगर पी ई रेशों 10 पर जा रहा है, तो आप यहां पर इन्वेस्ट कर सकते हैं, क्योंकि इससे आपको बढ़िया रिटर्न मिलने वाला है।

अगर निफ्टी 30 के आसपास है,या 25 से 30 तक है,तो यहां पर इन्वेस्ट कम करें या ना करें,क्योंकि आपको बहुत कम रिटर्न हो सकता है।

जब तक हम बेसिक जानकारी नहीं लेंगे,तोइन्वेस्ट करने का पूरा ज्ञान हमें नहीं मिल पाएगा।

सबसे पहले निफ्टी का पी ई चेक करें,जो कि 50 कंपनी का रिप्रेजेंटेशन होता है और अगर पी ई 10 के आसपास है, या 12, 13, 14 तक है, तो यही पैसा लगाने का टाइम है।

प्राइसअर्निंग रेशों को आप एक फार्मूला से समझेंगे जो, कि बहुत आसान है।

अगर मार्केट का पी ई 10 है,तो आपको ₹1 कमाने के लिए ₹ 10 लगाना पड़ेगा और अगर मार्केट का पी ई 30 है, तो आपको ₹1 कमाने के लिए 30 तक इन्वेस्ट करना होगा।

अब आप खुद ही समझ जाइए, कि आपको किस पर जाना है।

अगर आपने 10 रुपए लगाकर एक रुपए की कमाई की है, तो 10% की कमाई हुई और अगर ₹1 कमाने के लिए 30 लगाया है तो 3.5 %  रिटर्न आ रहा है। फायदा इसी में है कि आप पैसा एफडी में ही रखें,इससे 5 से 6 % का तो रिटर्न आता है।

अगर आपको पिछले कुछ सालों का डाटा दिखाया जाए, तो आपको ज्यादा आसानी से समझ आ सकता है।

  • 1999 में पी ई 12 पर था, जिसमें 105 %का रिटर्न आया था। 2003 में 11 चल रहा था,जिसमें 116 % का रिटर्न आया था।
  • अक्टूबर 2008 में भी मार्केट क्रैश होने पर 10 पर था और जिसने भी पैसा लगाया साल भर में 130 % रिटर्न पाया था।
  • अब बात करते हैं, जब पी ईं ज्यादा था और इन्वेस्ट करने पर लोगों को किस तरह नुकसान हुआ।
  • फरवरी 2000 में पी ई 28 पर पहुंच गया था और उसका रिटर्न एक साल में ‐ 53% पर पहुँच गया था। यानी आधा पैसा डूब गया।
  • जनवरी 2008 में मार्केट क्रैश होने के लक्षण होने पर भी लोगों ने पैसा लगाया,उस वक्त भी पी ई 28 पर था,औररिटर्न होने पर -64% का नुकसान हुआ, यानी  पैसा आधे से भी कम रह गया।

इनवेस्टर हमेशा यही सोचता है, कि हो सकता है इस बार अच्छेपर्सेंट से रिटर्न हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता।

अगर आप पी ई ज्यादा होने पर भी सोचते हैं, कि इन्वेस्ट करें, तो कम कम करके लगाएं। थोड़ा इंतजार करिए और डैब्थफंड में डाल दीजिए। 6 से 7% रिटर्न मिल ही जायेगा।

आपका ब्रोकर, आपका म्यूच्यूअलफंडएडवाइजर, इंडिपेंडेंटफाइनेंशियलएडवाइजर, वेल्थ मैनेजर क्यूँ नहीं बताते हैं।

या तो लोगों को मालूम ही नहीं है और अगर मालूम भी है,तो बताते नहीं, क्योंकि जो आप से  इन्वेस्ट कराते रहते हैं,और उनको कमीशन मिलता रहता है।

बस एक फॉर्मूला याद रखना है‐ सस्ती चीज को महंगे में खरीदना, या महंगी चीज को सस्ते में खरीदना। इसी में सारी कहानी है। इंतजार करिए सही समय का जब चीज सस्ती हो जाएगी।  पर यह कैसे पता चलेगा,और इसे पता करने के लिए आप कहां जा सकते हैं।

दो तरीके से जान सकते हैं,या तो आप एनएसईइंडिया.कॉम की वेबसाइट पर जाकर चेक करें या इस पर ठीक से खोज ना पाये तो आर्यमनी.कॉम पर जा कर देख सकते हैं, जिसमें स्क्रॉल पर नीचे जाकर आपको निफ्टी पर क्लिक करेंगे तो डायरे

अगर आप भी नए हैं,और आपको बिल्कुल जानकारी नहीं है शेयर मार्केट की, तो यह कंटेंटआपके लिए ही है।

आपको जरूर जानना चाहिए पूरी जानकारी, जो हम सरल भाषा में आप तक पहुंचाएंगे।

सबसे पहले हमें यह जानने की जरूरत है, कि इन्वेस्टमेंट कई प्रकार के होते हैं।

जैसे- आप एफडी में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको 7% रिटर्न मिल जाता है।

(Debt)डेब्थफंड में 6% का रिटर्न मिलता है।

रियलएस्टेट और गोल्ड भी पिछले 5 साल से आपको 5% से ज्यादा का रिटर्न नहीं दे रहे हैं।

सेविंग अकाउंट में 4% मिलता है।

करंट अकाउंट में तो कुछ मिलता ही नहीं।

लेकिन म्यूच्यूअलफंड और शेयर मार्केट से लोग 12 से 18 % का रिटर्न प्राप्त कर पा रहे हैं।

हम दो तरीके से इन्वेस्ट कर सकते है।

  • पहला कि म्युचुअलफंड ,जो इनडायरेक्ट होता है।
  • दूसरा किसी कंपनी का शेयर खरीदकर, जिसे डायरेक्टइन्वेस्ट कहते हैं।

हमें बहुत जरूरी बात,यह जानने की जरूरत है कि शेयर मार्केट में लोग फेल क्यों हो जाते हैं?

देखिये,हमें समझना चाहिए, कि शेयर मार्केट में भारत के लोग 4% इन्वेस्ट करते हैं,वहीँ अमेरिका के अंदर लगभग 50% इन्वेस्ट करते हैं।

इंडिया में क्यों लोग ज्यादा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं करते? इसके कई कारण हैं

  • एक तो लोग जोखिम उठाने से कतराते हैं।
  • दूसरी वजह कि उन्हें शेयर मार्केट की संपूर्ण जानकारी नहीं होती है।
  • उनका कोई डेडीकेटेड कोर्स नहीं होता।
  • और एक बड़ा कारण यह है, कि कई सारे फ्रॉडस्कैंडल्स की वजह से लोगों का भरोसा उठ जाता है। जिसकी वजह से वह इस इन्वेस्ट करने से कतराते हैं।

सबसे पहले हमें समझना होगा,कि शेयर मार्केट काम कैसे करता है।

इसे बिल्कुल ऐसा समझ सकते हैं,जैसे एक सब्जी मंडी में काम किया जाता है। मान लीजिये,किसी एक चीज को 20 रुपए में बेचा जा रहा है,लेकिन खरीदने वाला 15 रुपये में चाहता है। फिर बेचने वाला यह कह सकता है, कि बीच की डील कर लेते हैं, और 18 पर तय कर लेते हैं।

इसके अंदर डिमांड और सप्लाई चलती है। जहां पर किसी चीज की माँग ज्यादा होगी,तो उसका रेट बढ़ जाएगा और जहां डिमांड कम होती है, लेकिन सप्लाई बहुत ज्यादा है, तो उस चीज का रेट कम हो जाता है।

शेयर मार्केट में भी ऐसा ही होता है। शेयर मार्केट में (एन एस ई) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और (बी एस ई) बॉम्बे स्टॉकएक्सचेंज,मार्केट है। यहीं से आपको पता चलता है और यहीं से आप ट्रेडिंग करते हैं।

लेकिन गलती कहां पर होती हैआप न्यूज़ को ट्रैक मत करिए आप ट्रेड को ट्रैक कीजिए। बस थोड़ी समझदारी की जरूरत है। बस एक फंडामेंटल समझने की जरूरत है और शेयर मार्केट की बहुत बडी जानकारी आपको मिल सकती है।

पी ई (PE) क्या होता है। यह होता है- प्राइसअर्निंग रेशों।

और उससे पहले समझना होगा कि,निफ्टी50 क्या है? nifty50, हमारे देश की 50 बड़ी कंपनी को मिलाकर एक रिप्रेजेंटेटिव होता है। निफ्टी को देखकर पता चलता है,कि सारी कंपनी कैसा परफॉर्म कर रही है। निफ़्टी का प्राइसअर्निंग रेशों  होता है, जो बताता है, कि कितना पैसा लगाया जाएगा और कितना वापस मिलेगा।

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना है या नहीं करना है,हमें इसी से पता चलेगा और वह कैसे जानेंगे, इसके लिए आगे बढ़ते हैं।

पी ई, निफ़्टी का भी होता है और इंडिविजुअल कंपनी का भी होता है।

साधारण भाषा में समझें तो,आपको चाहिए, कि इंडिविजुअल कंपनी का शेयर मार्केट चेक करने से पहले, पूरी मार्केट का शेयर चेक करें, कि कितना लगाया जाएगा और कितना मिलेगा।

पी ई अमूमन पिछले 30, 40 से 50 साल का मार्केट बताता है,कि सबसे नीचे ये 10 पर रहता है,और सबसे ऊपर 30 पर रहता है।

अब यहां दो बात समझने की है,कि अगर पी ई रेशों 10 पर जा रहा है, तो आप यहां पर इन्वेस्ट कर सकते हैं, क्योंकि इससे आपको बढ़िया रिटर्न मिलने वाला है।

अगर निफ्टी 30 के आसपास है,या 25 से 30 तक है,तो यहां पर इन्वेस्ट कम करें या ना करें,क्योंकि आपको बहुत कम रिटर्न हो सकता है।

जब तक हम बेसिक जानकारी नहीं लेंगे,तोइन्वेस्ट करने का पूरा ज्ञान हमें नहीं मिल पाएगा।

सबसे पहले निफ्टी का पी ई चेक करें,जो कि 50 कंपनी का रिप्रेजेंटेशन होता है और अगर पी ई 10 के आसपास है, या 12, 13, 14 तक है, तो यही पैसा लगाने का टाइम है।

प्राइसअर्निंग रेशों को आप एक फार्मूला से समझेंगे जो, कि बहुत आसान है।

अगर मार्केट का पी ई 10 है,तो आपको ₹1 कमाने के लिए ₹ 10 लगाना पड़ेगा और अगर मार्केट का पी ई 30 है, तो आपको ₹1 कमाने के लिए 30 तक इन्वेस्ट करना होगा।

अब आप खुद ही समझ जाइए, कि आपको किस पर जाना है।

अगर आपने 10 रुपए लगाकर एक रुपए की कमाई की है, तो 10% की कमाई हुई और अगर ₹1 कमाने के लिए 30 लगाया है तो 3.5 %  रिटर्न आ रहा है। फायदा इसी में है कि आप पैसा एफडी में ही रखें,इससे 5 से 6 % का तो रिटर्न आता है।

अगर आपको पिछले कुछ सालों का डाटा दिखाया जाए, तो आपको ज्यादा आसानी से समझ आ सकता है।

  • 1999 में पी ई 12 पर था, जिसमें 105 %का रिटर्न आया था। 2003 में 11 चल रहा था,जिसमें 116 % का रिटर्न आया था।
  • अक्टूबर 2008 में भी मार्केट क्रैश होने पर 10 पर था और जिसने भी पैसा लगाया साल भर में 130 % रिटर्न पाया था।
  • अब बात करते हैं, जब पी ईं ज्यादा था और इन्वेस्ट करने पर लोगों को किस तरह नुकसान हुआ।
  • फरवरी 2000 में पी ई 28 पर पहुंच गया था और उसका रिटर्न एक साल में ‐ 53% पर पहुँच गया था। यानी आधा पैसा डूब गया।
  • जनवरी 2008 में मार्केट क्रैश होने के लक्षण होने पर भी लोगों ने पैसा लगाया,उस वक्त भी पी ई 28 पर था,औररिटर्न होने पर -64% का नुकसान हुआ, यानी  पैसा आधे से भी कम रह गया।

इनवेस्टर हमेशा यही सोचता है, कि हो सकता है इस बार अच्छेपर्सेंट से रिटर्न हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता।

अगर आप पी ई ज्यादा होने पर भी सोचते हैं, कि इन्वेस्ट करें, तो कम कम करके लगाएं। थोड़ा इंतजार करिए और डैब्थफंड में डाल दीजिए। 6 से 7% रिटर्न मिल ही जायेगा।

आपका ब्रोकर, आपका म्यूच्यूअलफंडएडवाइजर, इंडिपेंडेंटफाइनेंशियलएडवाइजर, वेल्थ मैनेजर क्यूँ नहीं बताते हैं।

या तो लोगों को मालूम ही नहीं है और अगर मालूम भी है,तो बताते नहीं, क्योंकि जो आप से  इन्वेस्ट कराते रहते हैं,और उनको कमीशन मिलता रहता है।

बस एक फॉर्मूला याद रखना है‐ सस्ती चीज को महंगे में खरीदना, या महंगी चीज को सस्ते में खरीदना। इसी में सारी कहानी है। इंतजार करिए सही समय का जब चीज सस्ती हो जाएगी।  पर यह कैसे पता चलेगा,और इसे पता करने के लिए आप कहां जा सकते हैं।

दो तरीके से जान सकते हैं,या तो आप एनएसईइंडिया.कॉम की वेबसाइट पर जाकर चेक करें या इस पर ठीक से खोज ना पाये तो आर्यमनी.कॉम पर जा कर देख सकते हैं, जिसमें स्क्रॉल पर नीचे जाकर आपको निफ्टी पर क्लिक करेंगे तो डायरेक्ट आपको निफ्टी का पी ई दिखा देगा।

क्ट आपको निफ्टी का पी ई दिखा देगा।

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